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Saturday, August 4, 2012

आत्मचिंतन



खुद से खुद को मिलने की फुर्सत नहीं
ज़माने से मिला करते हैं हम

मुस्कुराकर रिप्लाई करते हैं सबको
ज़हन में अपने हज़ारों प्रश्न रखते हैं हम

आइये ,कभी खुद से खुद की मुलाक़ात कर लें
एक पल तो अपने भी दिल से चैन से बात कर लें

कल फिर मौका मिले न मिले
आज ही इन प्रश्नों से नज़रें दो चार कर लें

आओ ना ! बैठें, झाँक लें भीतर
कुछ अपने गम और खुशियों का भी हिसाब कर लें

दुनिया की भीड़ हर पल चारों ओर से घेरे है
कुछ समय तो आत्म-चिंतन भी कर लें ......पूनम (N)

12 comments:

  1. poonam ji maine anubhav kiya hai ki pratyek vyakti ke do charitra hote hai ek jo o sabke samne dikhata hai aur doosra jo o chupa ke rakhta hai. vyakti apne doosre charitra se tabhi mill pata hai jab o ekant me hota hai.

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    1. अतुल पाठक जी सर्प्रथम तो आपका शुक्रिया अदा करना चाहूंगी ....कि आपने मेरे ब्लॉग को विसिट किया .....:)
      और हाँ बात सही है आपकी एकांत में इन्सांन खुद से मी सकता है ....या फिर खुद को खोजने की कोशिश करता है .....मेरा अभिप्राय भी यही है कि कुछ समय हमें अपने आप को देना चाहिए ........इस दौड धुप से भरी रेस लगाती जिंदगी में :)

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  2. aatam chintan karne ka waqt kahan hai aaz ke insaan ke pass..agar hum kar le aatam chintan to hamari koi problem na rahe..kudh ke sawaloon,n se kudh hi bhagta hai admi....

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    1. गुरमीत जी ....खुद से भागना शायद मजबूरी है .इंसान में इतनी खामियां हैं कि वो उनसे रु ब रु नहीं होना चाहता ......डरता है .....इस डर को खत्म किया जा सकता है .......अपने से मिलकर ....सुख दुःख ,खौफ सभी कुछ सामने आ जाए तो डर खत्म हो जाए ......एक bold initiative की जरूरत है बस :)

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  3. बहुत ही अर्थपूर्ण रचना...दीदी.. खुद के दोहरेपन से ना उबर पाने को सटीक अभिव्यक्ति.. सच.. जिंदगी की आपाधापी के बीच थोडा तो वक्त निकालें खुद के लिए.. कभी तो मिल लें खुद से..

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    1. राहुल .शुक्रिया भाई .....सही कहा तुमने जीवन की आपा धापी में ख़ुद के लिए हम समय ही कहाँ निकाल पाते हैं .......काश कि थोडा सा समय ख़ुद को दें .......वो कहते हैं न .........औरों को प्यार करने से पहले ख़ुद को प्यार करना ज़रूरी है :)

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  4. nice
    Great
    https://www.facebook.com/kashif.asad

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    1. thnx Kashif...........for all the effort to peep in my blog .....

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  5. दुनिया की भीड़ हर पल चारों ओर से घेरे है
    कुछ समय तो आत्म-चिंतन भी कर लें ..
    wah... bahut khub!!

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    1. शुक्रिया मुकेश जी

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  6. खुद से खुद को मिलने की फुर्सत नहीं
    ज़माने से मिला करते हैं हम
    =bahut khoob--photo bhi sunder !

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    1. शुक्रिया गुरु जी .......क्या करें ज़माने की रफ़्तार ऐसी है कि सब भागे
      चले जा रहे है ......जैसे मुठ्ठी से रेत फिसलती जा रही हो

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