दोस्ती के मायने कोई
यूँ ही समझ नहीं सकता ......
बिना आग की लपटों से गुज़रे
कोई ये तप्त दरिया पार कर नहीं सकता
शीतल चाँद की चांदनी भी यहीं झलकती है
बिन दो पल ठहरे कोई ये ठंडक पा नहीं सकता.........पूनम (AR)
यूँ ही समझ नहीं सकता ......
बिना आग की लपटों से गुज़रे
कोई ये तप्त दरिया पार कर नहीं सकता
शीतल चाँद की चांदनी भी यहीं झलकती है
बिन दो पल ठहरे कोई ये ठंडक पा नहीं सकता.........पूनम (AR)
दोस्ती के मायने कोई
ReplyDeleteयूँ ही समझ नहीं सकता ......
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bahut khoob ... waah
ekdam sahi kaha
aabhaar
प्रकाश गोविन्द जी स्वागत एवं आभार
Deleteवाह दीदी... दोस्ती के पावन भाव को एक अलग ही अहसास देती हुई आपकी खूबसूरत रचना.. बहुत सुन्दर... लाजवाब...
ReplyDeleteशुक्रिया राहुल .........दोस्ती के रंग अनेक हैं :).....कुछ को छूने की कोशिश की है
ReplyDeletehmmm bahut achhi koshish.............
ReplyDeleteAtul jii shukriya koshish ko srahne ke liye
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