मेरी हंसी उन्हें कुछ फीकी सी लगी
आँखों की चमक कुछ धीमी सी लगी
पास आकर बोले ,क्या बात है
क्या हमसे कोई हो गयी नादानी
हम भी बैठे रहे कोने में सकुचाए
कहा धीरे से ‘उसने’ फिर
क्यों है हमारे सरताज मुरझाए
ज़रा नज़रें उठाइये ,थोड़ा मुस्कुराइए
क्यों धडकन पर हो पहरा बिठाए
जिंदगी हमारी तुम्ही से है
चलो छोडो रूठना, हमें देखना है
तुम्हारा वही खिल-खिलाके मुस्कुराना..........पूनम (SS)
आँखों की चमक कुछ धीमी सी लगी
पास आकर बोले ,क्या बात है
क्या हमसे कोई हो गयी नादानी
हम भी बैठे रहे कोने में सकुचाए
कहा धीरे से ‘उसने’ फिर
क्यों है हमारे सरताज मुरझाए
ज़रा नज़रें उठाइये ,थोड़ा मुस्कुराइए
क्यों धडकन पर हो पहरा बिठाए
जिंदगी हमारी तुम्ही से है
चलो छोडो रूठना, हमें देखना है
तुम्हारा वही खिल-खिलाके मुस्कुराना..........पूनम (SS)
wah kitna sunder kitna adbhut.
ReplyDeleteशुक्रिया अतुल ..यह रचना मेरे काव्य संग्रह '' स्वप्न शृंगार'' में सलग्न है ...
DeleteAapki pustak "swapn shringaar" prapt kaise kiya ja sakta hai.
ReplyDeleteस्वपन शृंगार ......और अरमान दोनों ही आप मुझसे या प्रकाशक से मंगवा सकते हैं .......मुझसे मंगवाने के लिए ........सिर्फ स्वप्नश्रृंगार .....150 RS /-......सिर्फ ''अरमान ''........RS.175/-.........और दोनों मंगवाने के लिए RS 275/- भेजने हैं .......
Deletesabse pahle mujhe kya karna hoga........ Aapko ya prakashak ko kis pate per aur kaise rupye bhejne hai......
ReplyDelete